किराड़ और किराडू का मंदिर

किराड़ और किराडू का मंदिर

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बाडमेर जिला: राजस्थान में बाडमेर शहर से ४० कि.मीटर दूर हाथमा पहाडियों के बीच में बसा किराडू प्राचीन ऐतिहासिक जगह है । यहाँ पांच प्राचीन मंदिर बने है । किराडू पर परमारों, सोलंकियो, चौहानों एवं जातताइयों के निरंतर आक्रमण होते रहे है । सबसे अधिक क्रूर हमला मोहम्मद गोरी ने किया था जिसकी वजह से भारी क्षती हुई । अलाऊदिन खिलजी की वजह से यहाँ के मंदीर काफी मात्रा में ध्वस्त हुए थे । मुख्य मंदीर सोमेश्वर के पास बना शिव मंदीर सुंदर और सूक्ष्म शिल्पकृतियों का अजायबघर है । देवताओं और राक्षसों के बीच युध्द के रूप में सागर मंथन प्रसंग को यहाँ बनाया गया है । रामायण और महाभारत के विभिन्न विषयों के शिल्प यहाँ देखे जा सकते है । किराडू मंदिर के अहाते के सामने एक ऊँची पहाडी पर चामुंडा देवी का मंदिर, पत्थरो के टुकडे को एक पर एक रच कर बनाया है, जिन्हे किराडों की कुल देवी कहते हैं ।

इस इलाके में राजपूत एवं मुस्लिमों की बस्तियों है. लेकिन किसी क्षत्रिय किराड का घर नही है । यहाँ से सभी किराड आतताइयों के आक्रमण के वजह से सदियों पहले पलायन कर गये । यहाँ से पाकिस्तान की सिमा ६० किसी. दूरीपर है और सिन्धु को १०० कि.मि. पर है यहा पर भी क्षत्रिय किराड बसते थे ।

किराड़

जोधपुर राज्य के परगने मालानी में बाडमेर से १० मील उतरपद्गिचम में प्राचीनऐतिहासिक नगर किराडू, किरारकोट या किरारकूट (किराडू) कहा जाने वाला ध्वंशावद्गोष के रूप में स्थित है। यहॉ परमार शासकों के मन्दिरों के खंडहर हैं। मूलनगर वीरान हो चुका है। किराडू परमारवंशी क्षत्रीयों की राजधानी रही थी। किराडू का संस्थापक एवं प्रथम शासक तथा किराडू का परमार वंश का प्रथम ऐतिहासिक पुरूष सिन्धुराज वि०.सं०९५६ से ९८१ तक रहा। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार ९वीं सदी से लेकर १३ वीं सदी तक किराडू पर परमार,सोलंकी वंशी क्षत्रीयों का शासन रहा । यवन आक्रमण काल में यवनों का भारत में मुखयतः समृद्वि गूजर और मालवा प्रदेश की ओर जाने का मार्ग किराडू होकर ही था। अतः सबसे पहले यवनों का सामना किरार कोट (किराडू)को ही करना पडता था। अतः (कि=करना, रार=लडाई कोट =किला)इस नगर का ”किरार कोट या किरार कूट” नाम पडने का यही कारण है। किरार कोट या किरार कूट का रूपान्तर शब्द किरारू या किराडू कहलाया। किरारू का अर्थ है (कि=करना, रारू =लडाकू)अर्थात लडाई करने वाले। राजस्थानी भाषा में ”र” का उच्चारण ”ड” किया जाता है। जिसके कारण किरारू शब्द को किराडू कहा जाता हैं।


लेखक,
मेघश्याम कारोंडे
नागपुर